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वैश्वीकरण के इस आधुनिक वैज्ञानिक युग में जबकि विश्व की समस्त विधाएँ एक-दूसरे के अत्यधिक करीब आकर आपस में सहयोग कर रही हैं, विविध चिकित्सा पद्धतियाँ मिल-जुलकर काम करके स्वस्थ व्यक्तियों के स्वास्थ्य संरक्षण एवं रोगियों के रोगों की सम्यक् चिकित्सा हेतु नित्य नवीन अनुसन्धान के कार्य में जुटी हुई हैं। इस स्थिति में तकनीक का प्रयोग करके आयुर्वेद ही नहीं अपितु विश्व की समस्त चिकित्सा पद्धतियों के अध्यापकों, अनुसन्धाताओं, स्नातकों, प्रशासकों एवं नीतिनिर्धारकों को सुश्रुतसंहिता के सरलता पूर्वक अध्ययन एवं उपयोग के लिए सुविधा प्रदान करना आवश्यक है। इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निबन्धसंग्रह एवं न्यायचन्द्रिका व्याख्या सहित सुश्रुतसंहिता की इ-बुक को प्रकाशित किया जा रहा है।

यद्यपि अध्ययन-अध्यापन, चिकित्सा और अनुसन्धान में मुद्रित प्रति की आवश्यकता सर्वविदित है तथापि इन स्थितियों में इ-बुक का प्रयोग भी समय और श्रम की बचत करने में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगा। क्योंकि-

  1. कण्ठे विद्या- यद्यपि प्राचीन साहित्य में विद्या को कण्ठस्थ करना श्रेष्ठ माना गया है किन्तु वर्तमान वैज्ञानिक युग में संस्कृत भाषा के प्रति पाठकों की अत्यल्प रुचि के कारण ऋषियुग के समान आयुर्वेदीय संहिताओं के पठन-पाठन के साथ-साथ उन्हें कण्ठस्थ या मस्तिष्कस्थ करना संभव नहीं है। इस स्थिति में यह इ-बुक ज्ञानवर्धन हेतु विशेषकर विषयवार अर्थावयवशः अध्ययन में अध्येताओं के लिए मस्तिष्कस्थ ज्ञान के समान उपयोगी सिद्ध होगी।
  2. टीका गुरूणां गुरुः - संहिताओं के सम्यक् ज्ञान, चिकित्सा में उपयोग एवं अनुसन्धान हेतु उनका वाक्यशः, वाक्यार्थशः एवं अर्थावयवशः अध्ययन आवश्यक है। इस दृष्टि से इ-बुक द्वारा सुश्रुतसंहिता की निबन्धसंग्रह एवं न्यायचन्द्रिका टीकाओं में विभिन्न शब्दों एवं विविध विषयों के सन्दर्भानुसार सही अर्थों को खोज विकल्प द्वारा ढूंढकर उपयोग किया जा सकता है।
  3. टीकाओं का अध्ययन अत्यन्त दुरूह- निबन्धसंग्रह एवं न्यायचन्द्रिका टीकाओं के अध्ययन बिना सुश्रुतसंहिता के सम्यक् ज्ञान की प्राप्ति असम्भव है एवं समस्त टीका का अध्ययन अत्यधिक श्रमसाध्य और दुरूह कार्य है। आज एम.डी. (संहिता) के कतिपय स्नातकों को छोड़कर अन्य स्नातकों द्वारा टीकाओं का पूर्णतः अध्ययन अब एक स्वप्न या कल्पना मात्र रह गया है। तथापि इ-बुक का प्रयोग युगानुरूप होने के कारण सभी लोग इससे लाभ प्राप्त कर सकेंगे।

इ-बुक से तात्पर्य किसी पुस्तक के ऐसे इलेक्ट्रोनिक संस्करण से है जिसे व्यक्तिगत कम्प्यूटर अथवा किसी ऐसे डिवाइस पर पढ़ा जा सकता है जो मुख्य रूप से इसी कार्य के लिए बना हो। सामान्यतः इसके लिए किसी पुस्तक के प्रकाशित संस्करण के स्वरूप को इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में विश्लेषित किया जाता है जिससे यह अनेक संस्करणों के समान कार्य करती है। सम्प्रति इ-बुक न केवल किसी पुस्तक की पाठ्यसामग्री को पढ़ने में मदद करती है अपितु सम्पूर्ण पाठ्यसामग्री में से विशिष्ट अंशों की खोज का कार्य भी सम्पादित करती है उदाहरणार्थ किसी शब्द विशेष अथवा श्लोक के विशिष्ट अंश को उसके सभी सन्दर्भों सहित खोजना। सम्प्रति संस्कृत भाषा में उपलब्ध आयुर्वेदीय साहित्य के लिए इस तरह के खोज विकल्प की आवश्यकता भी है। अधुना आयुर्वेदीय साहित्य में प्रकाशित पुस्तकें पर्याप्त संख्या में हैं किन्तु इ-बुक के रूप में पुस्तकों के निर्माण हेतु अभी तक अत्यल्प प्रयास हुए हैं। अस्तु सुश्रुतसंहिता के प्रस्तुत संस्करण को इ-बुक की सभी विशेषताओं से युक्त बनाया गया है।

इस इ-बुक के निर्माण हेतु संहिता का टंकण कार्य फोनेटिक इंगलिश के बराह सोफ्टवेयर में किया गया है तथा देवनागरी लिपि में टंकण के लिए कुछ निश्चित परिवर्तन आईट्रान्स वर्जन से किये गये हैं। इसके लिए टंककों को विषय-विशेषज्ञों के निर्देशन में संस्कृत शब्दावली एवं ध्वन्यात्मक संचेतना का पूर्ण प्रशिक्षण देने के उपरान्त ही टंकण कार्य हेतु प्रयुक्त किया गया है। टंकित संहिता की पाठ्यसामग्री के प्रूफ-संशोधन के लिए बहुस्तरीय सहयोगात्मक सम्पादन पद्धति का प्रयोग किया गया है एवं यथासम्भव वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों को दूर करने का प्रयास किया गया है। प्रस्तुत इ-बुक अधोलिखित विशेषताओं से युक्त है।

  1. विविध लिपियों में उपलब्ध- यह इ-बुक देवनागरी लिपि के अलावा तेलुगु, मलयालम, तमिल, गुजराती, कन्नड़, बंगाली, गुरुमुखी, फोनिटिक अंग्रेजी एवं डयाक्रिटिकल (ISO 15919) लिपियों में भी उपलब्ध है। अतः देवनागरी लिपि से अनभिज्ञ पाठक भी अपनी-अपनी पारम्परिक लिपियों में इसका उपयोग करके लाभान्वित हो सकते हैं।
  2. संहितापाठ- इसके द्वारा अधिकरण पर आधारित मूलपाठ, व्याख्या एवं पाठान्तर का संहितापाठ पृथक्-पृथक् एवं समस्त रूप में किसी भी तरह किया जा सकता है।
  3. शब्द की खोज- इसके द्वारा मूलपाठ, व्याख्या एवं अधिकरण में खोज विकल्प की सहायता से शब्द की खोज की जा सकती है।
  4. समय की बचत- इसके द्वारा खोज-विकल्प के माध्यम से संहिता में उपलब्ध विविध विषयों का ज्ञान अत्यल्प समय में प्राप्त किया जा सकता है।
  5. सस्ती एवं सुगम- सीडी के रूप में उपलब्ध होने के कारण यह अल्प मूल्यवान् है जिसे सुगमता पूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।
  6. इस इ-बुक को कार्यप्रणाली में लाने के लिए कम्प्यूटर पर स्थापित करने का अलावा किसी अतिरिक्त संसाधन की आवश्यकता नहीं है तथा इसके स्थापित होने से कम्प्यूटर में पहले से स्थापित किसी अन्य प्रोग्राम पर कोई व्यवधान नहीं पहुँचता है।
पाठकों से निवेदन

यह संस्करण अत्यल्प समय और सीमित संसाधनों में पूर्ण किया गया कार्य है। अस्तु प्रस्तुत संस्करण में कतिपय त्रुटियों का रह जाना भी असम्भव नहीं है। अतः पाठकों से विनम्र निवेदन है कि इस संस्करण में रह गई त्रुटियों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करके अनुग्रहीत करें, साथ ही सम्पादन से सम्बन्धित अन्य महत्त्वपूर्ण सुझावों से भी हमें अवगत कराने का श्रम करें, ताकि अग्रिम संस्करणों में अधिक परिष्कृत और त्रुटिहीन विषय-सामग्री आयुर्वेद जगत के समक्ष प्रस्तुत की जा सके। हमारा सङ्कल्प है कि हम आगामी वर्षों में तकनीक और अनुभव में वृद्धि के पश्चात् स्नातकों की सुविधा के लिए न केवल संहिताओं बल्कि अन्य पुस्तकों की भी इ-बुक्स के श्रेष्ठतम संस्करण पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर सकेंगे।

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